हे मेरी प्रजा के लोगो, मेरी ओर ध्यान धरो; हे मेरे लोगो, कान लगाकर मेरी सुनो; क्योंकि मेरी ओर से व्यवस्था दी जाएगी, और मैं अपना नियम देश देश के लोगों की ज्योति होने के लिये स्थिर करूंगा। मेरा छुटकारा निकट है; मेरा उद्धार प्रगट हुआ है; मैं अपने भुजबल से देश देश के लोगों का न्याय करूंगा। द्वीप मेरी बाट जाहेंगे और मेरे भुजबल पर आशा रखेंगे। यशायाह 51:4-5
Monday, February 6, 2023
Wednesday, February 1, 2023
भजन संहिता,
भजन संहिता 8:1-9
I हे यहोवा हमारे प्रभु,
तू ने अपना
वैभव स्वर्ग पर
दिखाया है!
तेरा नाम सारी पृथ्वी
के ऊपर क्या
ही प्रतापमय है।
II तू ने अपने
बैरियों के कारण
बच्चोंऔर दूध पिउवों
के द्वारा सामर्थ्य
की नेव डाली
है, ताकि तू
शत्रु और पलटा
लेने वालों को
रोक रखे।
III जब मैं आकाश
को, जो तेरे
हाथों का कार्य
है, और चंद्रमा
और तरागण को
जो तू ने
नियुक्त किए हैं,
देखता हूं;
IV तो फिर मनुष्य
क्या है कि
तू उसका स्मरण
रखे, और आदमी
क्या है कि
तू उसकी सुधि
ले?
V क्योंकि तू ने
उसको परमेश्वर से
थोड़ा ही कम
बनाया है, और
महिमा और प्रताप
का मुकुट उसके
सिर पर रखा
है।
VI तू ने उसे
अपने हाथों के
कार्यों पर प्रभुता
दी है; तू
ने उसके पांव
तले सब कुछ
कर दिया है।
VII सब भेड़- बकरी और
गाय- बैल और
जितने वनपशु हैं,
VIII आकाश के पक्षी
और समुद्र की
मछलियां, और जितने
जीव- जन्तु समुद्रों
में चलते फिरते
हैं।
IX हे यहोवा, हे हमारे
प्रभु, तेरा नाम
सारी पृथ्वी पर
क्या ही प्रतापमय
है॥
Tuesday, January 31, 2023
Saturday, January 28, 2023
भजन संहिता,
भजन संहिता
7:1-17
I हे मेरे परमेश्वर
यहोवा, मेरा भरोसा
तुझ पर है;
सब पीछा करने
वालों से मुझे
बचा और छुटकारा
दे,
II ऐसा न हो
कि वे मुझ
को सिंह की
नाईं फाड़कर टुकड़े
टुकड़े कर डालें;
और कोई मेरा
छुड़ाने वाला न
हो॥
III हे मेरे परमेश्वर
यहोवा, यदि मैं
ने यह किया
हो, यदि मेरे
हाथों से कुटिल
काम हुआ हो,
IV यदि मैं ने
अपने मेल रखने
वालों से भलाई
के बदले बुराई
की हो, (वरन
मैं ने उसको
जो अकारण मेरा
बैरी था बचाया
है)
V तो शत्रु मेरे प्राण
का पीछा करके
मुझे आ पकड़े,
वरन मेरे प्राण
को भूमि पर
रौंदे, और मेरी
महिमा को मिट्टी
में मिला दे॥
VI हे यहोवा क्रोध करके
उठ; मेरे क्रोध
भरे सताने वाले
के विरूद्ध तू
खड़ा हो जा;
मेरे लिये जाग!
तूने न्याय की
आज्ञा तो देदी
है।
VII देश देश के
लोगों की मण्डली
तेरे चारों ओर
हो; और तू
उनके ऊपर से
होकर ऊंचे स्थानों
पर लौट जा।
VIII यहोवा
समाज समाज का
न्याय करता है;
यहोवा मेरे धर्म
और खराई के
अनुसार मेरा न्याय
चुका दे॥
IX भला हो कि
दुष्टों की बुराई
का अन्त हो
जाए, परन्तु धर्म
को तू स्थिर
कर; क्योंकि धर्मी
परमेश्वर मन और
मर्म का ज्ञाता
है।
X मेरी ढाल परमेश्वर
के हाथ में
है, वह सीधे
मन वालों को
बचाता है॥
XI परमेश्वर
धर्मी और न्यायी
है, वरन ऐसा
ईश्वर है जो
प्रति दिन क्रोध
करता है॥
XII यदि मनुष्य न फिरे
तो वह अपनी
तलवार पर सान
चढ़ाएगा; वह अपना
धनुष चढ़ाकर तीर
सन्धान चुका है।
XIII और उस मनुष्य
के लिये उसने
मृत्यु के हथियार
तैयार कर लिए
हैं: वह अपने
तीरों को अग्निबाण
बनाता है।
XIV देख दुष्ट को अनर्थ
काम की पीड़ाएं
हो रही हैं,
उसको उत्पात का
गर्भ है, और
उससे झूठ उत्पन्न
हुआ। उसने गड़हा
खोदकर उसे गहिरा
किया,
XV और जो खाई
उसने बनाई थी
उस में वह
आप ही गिरा।
XVI और उसका उपद्रव
उसी के माथे
पर पड़ेगा; उसका उत्पात
पलट कर उसी
के सिर पर
पड़ेगा॥
XVII मैं यहोवा के धर्म
के अनुसार उसका
धन्यवाद करूंगा, और परमप्रधान
यहोवा के नाम
का भजन गाऊंगा॥