भजन संहिता

भजन संहिता 1: 1-6


 I   क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! 

II   परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। 

III   वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥ 

IV   दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 

V   इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 

VI   क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा॥ 



        I.            जाति जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं, और देश देश के लोग व्यर्थ बातें क्यों सोच रहे हैं?

      II.            यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरूद्ध पृथ्वी के राजा मिलकर, और हाकिम आपस में सम्मति करके कहते हैं, कि

    III.            आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, और उनकी रस्सियों अपने ऊपर से उतार फेंके॥

    IV.            वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हंसेगा, प्रभु उन को ठट्ठों में उड़ाएगा।

      V.            तब वह उन से क्रोध करके बातें करेगा, और क्रोध में कहकर उन्हें घबरा देगा, कि

    VI.            मैं तो अपने ठहराए हुए राजा को अपने पवित्र पर्वत सिय्योन की राजगद्दी पर बैठा चुका हूं।

  VII.            मैं उस वचन का प्रचार करूंगा: जो यहोवा ने मुझ से कहा, तू मेरा पुत्रा है, आज तू मुझ से उत्पन्न हुआ।

VIII.            मुझ से मांग, और मैं जाति जाति के लोगों को तेरी सम्पत्ति होने के लिये, और दूर दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूंगा।

    IX.            तू उन्हें लोहे के डण्डे से टुकड़े टुकड़े करेगा। तू कुम्हार के बर्तन की नाईं उन्हें चकना चूर कर डालेगा॥

      X.            इसलिये अब, हे राजाओं, बुद्धिमान बनो; हे पृथ्वी के न्यायियों, यह उपदेश ग्रहण करो।

    XI.            डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपते हुए मगन हो।

  XII.            पुत्र को चूमो ऐसा हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ; क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है॥ धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है॥


भजन संहिता, 3: 1-6

 I हे यहोवा मेरे सताने वाले कितने बढ़ गए हैं! वह जो उठते हैं मेरे विरूद्ध बहुत हैं।


II बहुत से मेरे प्राण के विषय में कहते हैं, कि उसका बचाव परमेश्वर की ओर से नहीं हो सकता।

III परन्तु हे यहोवा, तू तो मेरे चारों ओर मेरी ढ़ाल है, तू मेरी महिमा और मेरे मस्तिष्क का ऊंचा करने वाला है।

IV मैं ऊंचे शब्द से यहोवा को पुकारता हूं, और वह अपने पवित्र पर्वत पर से मुझे उत्तर देता है।

V मैं लेटकर सो गया; फिर जाग उठा, क्योंकि यहोवा मुझे सम्हालता है।

VI मैं उन दस हजार मनुष्यों से नहीं डरता, जो मेरे विरूद्ध चारों ओर पांति बान्धे खड़े हैं॥



 भजन संहिता 4:1-8

I हे मेरे धर्ममय परमेश्वर जब मैं पुकारूं तब तू मुझे उत्तर दे जब मैं सकेती में पड़ा तब तू ने मुझे विस्तार दिया। मुझ पर अनुग्रह कर और मेरी प्रार्थना सुन ले॥
II तुम कब तक व्यर्थ बातों से प्रीति रखोगे और झूठी युक्ति की खोज में रहोगे हे मनुष्यों के पुत्रों, मेरी महिमा के बदले कब तक अनादर होता रहेगा?
III यह जान रखो कि यहोवा ने भक्त को अपने लिये अलग कर रखा है जब मैं यहोवा को पुकारूंगा तब वह सुन लेगा
IV कांपते रहो और पाप मत करो अपने अपने बिछौने पर मन ही मन सोचो और चुपचाप रहो।
V धर्म के बलिदान चढ़ाओ, और यहोवा पर भरोसा रखो
VI हे यहोवा तू अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका बहुत से हैं जो कहते हैं, कि कौन हम को कुछ भलाई दिखाएगा
VII तू ने मेरे मन में उससे कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था
VIII मैं शान्ति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है



भजन संहिता 5:1-12

 

I यहोवामेरे वचनों पर कान लगामेरे ध्यान करने की ओर मन लगा।

II हे मेरे राजाहे मेरे परमेश्वरमेरी दोहाई पर ध्यान देक्योंकि मैं तुझी से प्रार्थना करता हूं।

III हे यहोवाभोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगीमैं भोर को प्रार्थना करके तेरी बाट जोहूंगा।

IV क्योंकि तू ऐसा ईश्वर नहीं जो दुष्टता से प्रसन्न होबुराई तेरे साथ नहीं रह सकती।

V घमंडी तेरे सम्मुख खड़े होने  पांएगेतुझे सब अनर्थकारियों से घृणा है।

VI तू उन को जो झूठ बोलते हैं नाश करेगायहोवा तो हत्यारे और छली मनुष्य से घृणा करता है।

VII परन्तु मैं तो तेरी अपार करूणा के कारण तेरे भवन में आऊंगामैं तेरा भय मानकर तेरे

पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूंगा।

VIII हे यहोवामेरे शत्रुओं के कारण अपने धर्म के मार्ग में मेरी अगुवाई कर;

मेरे आगे आगे अपने सीधे मार्ग को दिखा।

IX क्योंकि उनके मुंह में कोई सच्चाई नहींउनके मन में निरी दुष्टता है। उनका गला खुली हुई कब्र है,

वे अपनी जीभ से चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं।

X हे परमेश्वर तू उन को दोषी ठहरावे अपनी ही युक्तियों से आप ही गिर जाएं;

उन को उनके अपराधों की अधिकाई के कारण निकाल बाहर करक्योंकि उन्होंने तुझ से बलवा किया है॥

XI परन्तु जितने तुझ पर भरोसा रखते हैं वे सब आनन्द करेंवे सर्वदा ऊंचे स्वर से गाते रहें;

क्योंकि तू उनकी रक्षा करता हैऔर जो तेरे नाम के प्रेमी हैं तुझ में प्रफुल्लित हों।

XII क्योंकि तू धर्मी को आशिष देगाहे यहोवातू उसको अपने अनुग्रहरूपी ढाल से घेरे रहेगा॥



भजन संहिता 6:1-10

I  हे यहोवातू मुझे अपने क्रोध में  डांटऔर  झुंझलाहट में मुझे ताड़ना दे।

II  हे यहोवामुझ पर अनुग्रह करक्योंकि मैं कुम्हला गया हूंहे यहोवामुझे चंगा करक्योंकि मेरी हडि्डयों में बेचैनी है।

III  मेरा प्राण भी बहुत खेदित है। और तूहे यहोवाकब तक?

IV  लौट हे यहोवाऔर मेरे प्राण बचा अपनी करूणा के निमित्त मेरा उद्धार कर।

V  क्योंकि मृत्यु के बाद तेरा स्मरण नहीं होताअधोलोक में कौन तेरा धन्यवाद करेगा?

VI  मैं कराहते कराहते थक गयामैं अपनी खाट आंसुओं से भिगोता हूंप्रति रात मेरा बिछौना भीगता है।

VII  मेरी आंखें शोक से बैठी जाती हैंऔर मेरे सब सताने वालों के कारण वे धुन्धला गई हैं॥

VIII  हे सब अनर्थकारियों मेरे पास से दूर होक्योंकि यहोवा ने मेरे रोने का शब्द सुन लिया है।

IX  यहोवा ने मेरा गिड़गिड़ाना सुना हैयहोवा मेरी प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा।X  मेरे सब शत्रु लज्जित होंगे और बहुत घबराएंगे; वे लौट जाएंगे, और एकाएक लज्जित होंगे॥


भजन संहिता 7:1-17

हे मेरे परमेश्वर यहोवामेरा भरोसा तुझ पर हैसब पीछा करने वालों से मुझे बचा और छुटकारा दे,

II ऐसा  हो कि वे मुझ को सिंह की नाईं फाड़कर टुकड़े टुकड़े कर डालेंऔर कोई मेरा छुड़ाने वाला  हो॥

III हे मेरे परमेश्वर यहोवायदि मैं ने यह किया होयदि मेरे हाथों से कुटिल काम हुआ हो,

IV यदि मैं ने अपने मेल रखने वालों से भलाई के बदले बुराई की हो, (वरन मैं ने उसको जो अकारण मेरा बैरी था बचाया है)

V तो शत्रु मेरे प्राण का पीछा करके मुझे  पकड़ेवरन मेरे प्राण को भूमि पर रौंदेऔर मेरी महिमा को मिट्टी में मिला दे॥

VI हे यहोवा क्रोध करके उठमेरे क्रोध भरे सताने वाले के विरूद्ध तू खड़ा हो जामेरे लिये जागतूने न्याय की आज्ञा तो देदी है।

VII देश देश के लोगों की मण्डली तेरे चारों ओर होऔर तू उनके ऊपर से होकर ऊंचे स्थानों पर लौट जा।

VIII यहोवा समाज समाज का न्याय करता हैयहोवा मेरे धर्म और खराई के अनुसार मेरा न्याय चुका दे॥

IX भला हो कि दुष्टों की बुराई का अन्त हो जाएपरन्तु धर्म को तू स्थिर करक्योंकि धर्मी परमेश्वर मन और मर्म का ज्ञाता है।

X मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में हैवह सीधे मन वालों को बचाता है॥

XI परमेश्वर धर्मी और न्यायी हैवरन ऐसा ईश्वर है जो प्रति दिन क्रोध करता है॥

XII यदि मनुष्य  फिरे तो वह अपनी तलवार पर सान चढ़ाएगावह अपना धनुष चढ़ाकर तीर सन्धान चुका है।

XIII और उस मनुष्य के लिये उसने मृत्यु के हथियार तैयार कर लिए हैंवह अपने तीरों को अग्निबाण बनाता है।

XIV देख दुष्ट को अनर्थ काम की पीड़ाएं हो रही हैंउसको उत्पात का गर्भ हैऔर उससे झूठ उत्पन्न हुआ। उसने गड़हा खोदकर उसे गहिरा किया,

XV और जो खाई उसने बनाई थी उस में वह आप ही गिरा।

XVI और उसका उपद्रव उसी के माथे पर पड़ेगा; उसका उत्पात पलट कर उसी के सिर पर पड़ेगा॥

XVII मैं यहोवा के धर्म के अनुसार उसका धन्यवाद करूंगाऔर परमप्रधान यहोवा के नाम का भजन गाऊंगा॥


 भजन संहिता 8:1-9

हे यहोवा हमारे प्रभुतू ने अपना वैभव स्वर्ग पर दिखाया है! तेरा नाम सारी पृथ्वी के ऊपर क्या ही प्रतापमय है।

II तू ने अपने बैरियों के कारण बच्चोंऔर दूध पिउवों के द्वारा सामर्थ्य की नेव डाली हैताकि तू शत्रु और पलटा लेने वालों को रोक रखे।

III जब मैं आकाश कोजो तेरे हाथों का कार्य हैऔर चंद्रमा और तरागण को जो तू ने नियुक्त किए हैंदेखता हूं;

IV तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखेऔर आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?

V क्योंकि तू ने उसको परमेश्वर से थोड़ा ही कम बनाया हैऔर महिमा और प्रताप का मुकुट उसके सिर पर रखा है।

VI तू ने उसे अपने हाथों के कार्यों पर प्रभुता दी हैतू ने उसके पांव तले सब कुछ कर दिया है।

VII सब भेड़बकरी और गायबैल और जितने वनपशु हैं,

VIII आकाश के पक्षी और समुद्र की मछलियांऔर जितने जीवजन्तु समुद्रों में चलते फिरते हैं।

IX हे यहोवाहे हमारे प्रभुतेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है॥ 


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